कोच गंभीर द्वारा रचे गए 4 षड्यंत्र, जिसकी वजह से मरते जा रहा टीम इंडिया का टेस्ट क्रिकेट
Published - 25 Nov 2025, 11:16 AM | Updated - 25 Nov 2025, 11:22 AM
Table of Contents
Gautam Gambhir: भारतीय टेस्ट क्रिकेट पिछले कुछ समय से चुनौतियों का सामना कर रहा है। प्रदर्शन में गिरावट के साथ-साथ टीम चयन और रणनीतियों को लेकर अनेक बहसें भी चल रही हैं। कई क्रिकेट विश्लेषकों का मानना है कि हाल के कोचिंग बदलावों और कुछ अहम निर्णयों ने टेस्ट क्रिकेट की स्थिरता को प्रभावित किया है।
कोच गंभीर (Gautam Gambhir) के कार्यकाल के दौरान लिए गए कुछ फैसलों को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा हुई है। नीचे दिए गए चार प्रमुख बिंदुओं को विशेषज्ञ अक्सर भारतीय टेस्ट टीम की गिरती स्थिति के संदर्भ में उठाते हैं।
रोहित-विराट जैसे अनुभवी खिलाड़ियों पर समय से पहले संन्यास का दबाव
कई क्रिकेट विशेषज्ञों का मानना है कि ऑस्ट्रेलिया दौरे पर रोहित शर्मा के खराब प्रदर्शन के बाद उनसे टेस्ट कप्तानी ले ली गई, जिससे उन पर संन्यास का दबाव और बढ़ गया। कहा जाता है कि इस माहौल का असर विराट कोहली पर भी पड़ा, क्योंकि दोनों ही लंबे समय से टीम के मुख्य स्तंभ रहे थे।
टीम में कोच गंभीर (Gautam Gambhir) की बढ़ती अनिश्चितता और लगातार होते फैसलों ने दोनों को असहज महसूस कराया। इन्हीं परिस्थितियों की वजह से रोहित और विराट ने इंग्लैंड दौरे से पहले मई 2025 में एक साथ टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने का फैसला किया, जिसे भारतीय टेस्ट टीम के लिए बड़ा झटका माना गया।
स्पेशलिस्ट खिलाड़ियों की जगह ऑलराउंडर्स पर अत्यधिक निर्भरता
टेस्ट क्रिकेट में स्पेशलिस्ट बल्लेबाजों और स्पेशलिस्ट गेंदबाजों की भूमिका सबसे अहम मानी जाती है। इसके बावजूद हाल के मैचों में टीम संयोजन में ऑलराउंडरों पर जरूरत से ज्यादा भरोसा किया गया, जिससे बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों विभागों में कमज़ोरी दिखाई दी।
इसी मुद्दे पर कई विश्लेषक दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ हुई टेस्ट सीरीज़ का उदाहरण देते हैं। उनका कहना है कि इस सीरीज़ में कोच गंभीर (Gautam Gambhir) ने वॉशिंगटन सुंदर को लगातार अलग-अलग भूमिकाओं में इस्तेमाल किया गया।
पहले कोलकाता टेस्ट में उन्हें साई सुदर्शन की जगह नंबर 3 पर भेजा गया, जबकि अगले गुवाहाटी टेस्ट में उन्हें नंबर 8 पर उतारा गया। इस तरह की बदलाव वाली रणनीति से न केवल खिलाड़ियों की स्पष्ट भूमिका तय नहीं हो पाती बल्कि टीम की तकनीकी मजबूती भी कमजोर पड़ती है।
कई पूर्व खिलाड़ियों का मत है कि टेस्ट क्रिकेट में संतुलित टीम का मतलब ऑलराउंडरों की भरमार नहीं, बल्कि हर स्थान के लिए सर्वश्रेष्ठ स्पेशलिस्ट का चयन होना चाहिए। बल्लेबाजी क्रम में लगातार बदलाव से उत्पन्न अस्थिरता
कोच Gautam Gambhir का पसंदीदा खिलाड़ियों को तरजीह देने के आरोप
टीम चयन हमेशा विवादों में रहा है, लेकिन हाल के फैसलों को लेकर यह आरोप और तेज हुए हैं कि कुछ खिलाड़ियों को प्रदर्शन की तुलना में ज्यादा मौके मिल रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि कोच गंभीर (Gautam Gambhir) के दौरान हर्षित राणा और नितीश कुमार रेड्डी जैसे खिलाड़ियों को लगातार चुना गया, जबकि उनका प्रदर्शन अब तक खास प्रभावशाली नहीं रहा।
इसके विपरीत अभिमन्यु ईश्वरन, सरफराज खान, मोहम्मद शमी, रुतुराज गायकवाड़ और नारायण जगदीशन जैसे खिलाड़ी घरेलू स्तर पर लगातार अच्छा खेल रहे हैं, फिर भी उन्हें पर्याप्त मौका नहीं मिल रहा। चयन में ऐसी असमानता से घरेलू खिलाड़ियों का मनोबल गिरता है और टीम के भीतर प्रतिस्पर्धा की भावना भी कमजोर होती है।
ये भी पढ़े : रांची में होने वाले पहले ODI के लिए 15 सदस्यीय टीम इंडिया का हुआ चयन, MI के 2 CSK-RCB से 1-1 खिलाड़ी को जगह
ऑथर के बारे में
यह लेखक Cricketaddictor का एक सदस्य है जो क्रिकेट से जुड़ी खबरों और विश्लेषण पर लिखता है।