3 मौके जब बुरे दौर से मजबूती से बाहर निकली भारतीय टीम, आलोचकों का किया मुह बंद
Published - 20 Dec 2020, 01:06 PM

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भारतीय आज के दौर में दुनिया के सबसे मजबूत टीमों में से एक है। टीम इंडिया को इस मुकाम तक पहुचाने में कई दिग्गज क्रिकेटर और मौजूदा खिलाड़ियों का अहम योगदान रहा है। फर्श से अर्श का सफर तय करने में कई बार भारतीय क्रिकेट टीम मुश्किल दौर में भी गुजरी, टीम की आलोचनाए भी हुई।
लेकिन टीम ने उस दौर का मजबूती से सामना किया, और फिर से लय हासिल करके आलोचकों के मुह बंद कर दिए। इसी क्रम में हम बात करेंगे 3 ऐसे मौकों के बारे में जिसमें भारतीय टीम काफी मुश्किल दौर से गुजरी और टीम फैंस का भरोसा भी खो चुकी थी।
लेकिन टीम ने बाद में टीम ने अपने कई खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन करते हुए वापसी की और फैंस का दोबारा भरोसा जीता। आज टीम इंडिया फिलहाल दुनिया के बेस्ट क्रिकेट टीमों में शुमार है।
भारतीय टीम पर फिक्सिंग का लगा आरोप
साल 2000 का दौर भारतीय क्रिकेट के सबसे बुरे दौर में से एक था। इस साल भारत के कई जाने माने खिलाड़ियों पर फिक्सिंग का आरोप लगा। जिसके बाद करोड़ों भारतीय फैंस का भरोसा टूट गया। दरअसल साल 2000 में साउथ अफ्रीका टीम भारत दौरे पर आई थी इसी दौरान टीम कई स्टार खिलाड़ियों पर फिक्सिंग का दाग लगा।
भारत और साउथ अफ्रीका के बीच खेले गए मैच के बाद दिल्ली पुलिस ने भारतीय दिग्गज क्रिकेटरों के मैच फिक्सिंग में जुड़े होने की बात सबके सामने रखी। उसी दौरान साउथ अफ्रीका के तत्कालीन कैप्टन हैंसी क्रोनिए पर भी मैच फिक्सिंग का आरोप लगा था।
फिक्सिंग के खुलासे के बाद साउथ अफ्रीका ने क्रोनिए को कप्तानी से हटा दिया और जून 2000 में क्रोनिए ने मैच फिक्सरों से अपने संबंध की बात कबूलते हुए भारतीय टीम के तत्कालीन कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन पर भी मैच फिक्स का आरोप लगा दिया।
क्रोनिए ने आरोप लगाया कि 1996 में कानपुर में खेले गए टेस्ट मैच के दौरान अजहर ने उन्हें मुकेश गुप्ता नाम के मैच फिक्सर से मिलवाया था। इसके आलवा उन्होंने भारतीय बल्लेबाज अजय जडेजा नाम भी लिया था। साथ ही भारत के कई खिलाड़ियों को इस फिक्सिंग का हिस्सा बनाया गया।
इस खुलासे के बाद अक्टूबर 2000 में क्रोनिए पर आजीवन प्रतिबंध लगाया गया, हांलाकि, 2002 में एक प्लेन क्रैश हादसे में उनकी मौत हो गई। वहीं दूसरी तरफ भारत के पूर्व आलराउंडर मनोज प्रभाकर ने कपिल देव, मोहम्मद अजहरुद्दीन आदि क्रिकेटर्स के नाम फिक्सिंग के आरोपियों के रूप में बताए थे।
इस मामले में जांच हुई और भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने प्रभाकर पर भी पांच साल और मोहम्मद अजहरुद्दीन पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया गया था। हांलाकि नवंबर 2012 में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने अजहरुद्दीन पर लगे आजीवन प्रतिबंध को गलत करार दिया, लेकिन तब तक उनका क्रिकेट कॅरियर खत्म हो चुका था।
वहीं टीम इंडिया के विश्व कप विजेता कप्तान कपिल देव पर मनोज प्रभाकर ने रिश्वत देने के आरोप लगाए थे। मैच फिक्सिंग का आरोप लगने के बाद उन्हें भारतीय टीम के कोच पद से इस्तीफा देना पड़ा था। हालांकि जब इस मामले की जांच हुई तो कपिलदेव पर लगे आरोप बेबुनियाद पाए गए।
इस मुश्किल दौर में भारतीय क्रिकेट टीम के लिए कई बड़ी मुश्किले सामने थी। मोहम्मद अजहरुद्दीन के कप्तानी से हटने के बाद सौरभ गांगुली ने भारतीय क्रिकेट टीम की कमान संभाली। गांगुली की कप्तानी के दौर को भारतीय क्रिकेट युगों-युगों तक याद रखेगा। उस बुरे दौर में गांगुली ने नए खिलाड़ियों पर भरोसा जताया।
गांगुली की कप्तानी में भारत ने 2001 में ऑस्ट्रेलिया को टेस्ट सीरीज में हराकर इतिहास रचा। जबकि नेटवेस्ट सीरीज 2002 जीतकर भारतीय क्रिकेट ने फैंस का भरोसा जीता और पूरे भारतीय क्रिकेट को बदलकर रख दिया। फिर विदेशों में भी भारत ने ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड व दक्षिण अफ्रीका को टेस्ट सीरीज में कड़ी चुनौती दी।
साल 2002 में उनकी कप्तानी में टीम इंडिया ने शानदार प्रदर्शन करते हुए चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में जगह बनाई। वहीं साल 2003 के वर्ल्ड कप में टीम इंडिया टूर्नामेंट की उपविजेता बनी। अब भारतीय क्रिकेट टीम पहले जैसी मजबूत हो चुकी थी। इसके बाद भारतीय क्रिकेट टीम ने कई उपलब्धि हासिल की।
विश्व कप 2007 का बुरा दौर
सौरभ गांगुली की कप्तानी में साल 2005 तक भारतीय क्रिकेट टीम काफी उचे मुकाम तक पहुच चुकी थी। लेकिन इसी बीच टीम का एक और बुरा दौर शुरू हुआ, फिर सौरभ गांगुली की कप्तानी भी चली गई। और एक बार फिर वर्ल्ड कप 2007 तक भारतीय क्रिकेट टीम की हालत खराब हो गई।
साल 2005 में ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान ग्रेग चैपल को सौरव गांगुली ने अपनी डिमांड पर टीम इंडिया का कोच बनवाया। लेकिन चैपल के कोच बनते ही टीम का माहौल खराब होने लगा और पहले सौरव गांगुली की कप्तानी गई और बाद में टीम से वह ड्रॉप भी हो गए।
चैपल के कोच बनने के बाद टीम इंडिया साल 2007 के विश्वकप में पहले ही राउंड में बाहर हो गई। इस टूर्नामेंट में टीम लीग स्टेज में बहुत खराब प्रदर्शन की। इसके बाद एक बार फिर लगने लगा था की भारतीय टीम एक बार फिर खत्म हो जाएगी लेकिन इसी बीच शुरू हुआ महेंद्र सिंह धोनी का दौर और भारतीय क्रिकेट बदल गया।
महेंद्र सिंह धोनी के कप्तानी में भारतीय टीम ने साल 2007 में वर्ल्ड कप में खेला, इस टूर्नामेंट में भारतीय क्रिकेट टीम ने पाकिस्तान को 5 रनों से हराकर आईसीसी ट्रॉफी पर कब्जा जमाया। इसी टूर्नामेंट में युवराज सिंह ने 6 गेंद पर 6 छक्के लगाए थे।
साल 2012 का बुरा दौर
भारतीय क्रिकेट टीम ने साल 2011 वर्ल्ड कप पर कब्जा जमाया था, इसके बाद टीम को विश्व की बेस्ट टीम माना जाने लगा। लेकिन यह ज्यादा दिन तक नहीं रहा, वर्ल्ड कप के बाद ही भारतीय क्रिकेट टीम बदलाव के दौर से गुजरने लगी टीम से कुछ दिग्गज खिलाड़ियों को बाहर किया गया और कुछ नए खिलाड़ी टीम में आए।
इसी बीच भारतीय क्रिकेट टीम ने कई सीरीज में हार झेली, यहाँ तक की भारत को पाकिस्तान के खिलाफ वनडे सीरीज में हार झेलना पड़ा, वहीं इंग्लैंड ने भारत को भारत मे में टेस्ट सीरीज हरा दिया। इसके बाद भारतीय क्रिकेट टीम में बदलाव हुआ और टीम चैंपियंस ट्रॉफी में मैदान पर उतरी।
आईसीसी के इस बड़े टूर्नामेंट में रोहित शर्मा और शिखर धवन को महेंद्र सिंह धोनी ने एक ओपनर बल्लेबाज के तौर पर मैदान पर उतारने का फैसला किया और भी कई खिलाड़ी टीम में शामिल हुए। सभी खिलाड़ियों ने बेहतरीन प्रदर्शन का नजारा पेश करते हुए भारत को विजेता बनाया।
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