Team India: इंडियन क्रिकेट टीम का हिस्सा बनना हर भारतीय खिलाड़ी का सपना होता है। कड़ी मेहनत, मशक्कत और धैर्य के चलते Team India के 11 खिलाड़ियों में अपनी जगह बनाना जितना मुश्किल है, उससे भी ज्यादा कठोर काम टीम में लंबे समय तक बने रहना है। क्योंकि 140 करोड़ के इस देश में हर दूसरा शख्स भारतीय क्रिकेट टीम में शामिल होना चाहता है।
ऐसे में टीम में मौजूद खिलाड़ियों के ऊपर हमेशा प्रदर्शन करते हुए Team India में अपनी जगह पक्की करने की तलवार लटकती रहती है। कई खिलाड़ी टीम से बाहर होने पर हताश हो जाते हैं, मानिसक और शारीरिक तौर पर इस पीड़ा को झेलने की क्षमता हर खिलाड़ी में नहीं होती है। लेकिन इसी बीच कई खिलाड़ी ऐसे भी है जो तमाम मुश्किलों के बवाजूद अपना कम बैक करते हैं। आज हम आपको ऐसे ही 3 खिलाड़ियों के बारे में इस लेख के जरिए बताने वाले हैं।
1. हरभजन सिंह
Team India के पूर्व स्पिन गेंदबाज हरभजन सिंह ने 23 साल तक बल्लेबाजों को अपनी फिरकी पर नचाया है। ऑफ स्पिन के महारथी हरभजन ने साल 2001 में ऑस्ट्रेलिया जैसी दिग्गज टीम के बल्लेबाजों को अपने आगे घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था। जिसके बाद भज्जी भारतीय टीम का अहम हिस्सा बन गए हैं थे और उन्हें टीम से बाहर निकालने के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था। लेकिन साल 2007 के बाद लगातार प्रदर्शन में गिरावट के बाद उन्हें आए दिन टीम से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता था।
इस दौर में रविचंद्रन अश्विन के उदय ने हरभजन सिंह की परेशानी को और ज्यादा बढ़ा दिया था। 2011 विश्वकप के बाद उनका पूरी तरह से टीम इंडिया का पत्ता कट गया था। लेकिन हरभजन ने इससे हार नहीं मानी और आईपीएल 2014/15 में शानदार प्रदर्शन करते हुए Team India में अपनी जगह पक्की की। उन्हें ज़िम्बाब्वे दौरे के लिए वन-डे और टी20 टीम में चुना गया था।
लेकिन उनका प्रदर्शन ठंडा रहा और एक बार फिर स्पिनर को टीम से बाहर कर दिया गया। पिछले साल क्रिकेट के हर फॉर्मेट से संन्यास लेने के बाद अब हरभजन सिंह आईपीएल 2022 में कमेंट्री करते हुए नजर आते हैं।
2. मोहिंदर अमरनाथ
भारत की 1983 विश्वकप विजय में अहम भूमिका निभाने वाले मोहिंदर अमरनाथ ने साल 1969 में Team India के लिए डैब्यू किया था। लेकिन लगातार फ्लॉप होने के बाद उन्हें टीम बाहर कर दिया गया था। इसके बाद उनको दूसरी बार भारतीय टीम में अपनी जगह बनाने के लिए 7 सालों का इंतजार करना पड़ा था। 1976 में न्यूजीलैंड के खिलाफ वापसी की।
जहां उन्होंने 64 रनों की पारी खेली और क्राइस्टचर्च में हुए अगले टेस्ट में 75 रन की पारी के साथ ही 4 विकेट लेकर ऑलराउंड प्रदर्शन किया। इसके बाद लगातार मोहिंदर अमरनाथ अच्छा प्रदर्शन करते हुए टीम इंडिया सबसे अहम खिलाड़ी बनकर उभरे थे। 1983 वर्ल्डकप में उनको मैन ऑफ द टूर्नामेंट चुना गया था। वर्ल्डकप फाइनल मैच में आखिरी विकेट लेने के बाद जिस तरह मोहिंदर अमरनाथ स्टंप लेकर भागे थे वो दृश्य आज भी सभी के जहन में ताजा है।
3. सौरव गांगुली
अपनी कप्तानी से 90 के दशक में Team India के सीरत बदल कर रख देने वाले सौरव गांगुली भी टीम इंडिया से बाहर होने के दुख से वंचित नहीं रह पाए हैं। वेस्टइंडीज के खिलाफ अपनी डैब्यू में सौरव ने सिर्फ 3 रन बनाए थे। जिसके बाद उन्हें टीम से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। इसके बाद उन्होंने 1996 में वन-डे टीम में वापसी की और फिर इंग्लैंड के खिलाफ लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर अपना पहला टेस्ट मैच खेला।
इसके बाद गांगुली को टीम का कप्तान बनाया गया और उन्होंने टीम में एक नए जज्बे के चलते विदेश में भी जीतना सिखाया। लेकिन सौरव की जिंदगी में इसके बाद भी परेशानियों का सिलसिला खत्म नहीं हुआ। साल 2005 में खराब फॉर्म और तत्कालीन टीम इंडिया के कोच ग्रेग चैपल से विवाद के कारण गांगुली को कप्तानी से हटना पड़ा। उस समय देशभर में गांगुली के पक्ष में चर्चा होने लगी। जिसके चलते उन्होंने साल 2006 में नाटकीय अंदाज में वापसी की। मौजूदा समय में सौरव गांगुली भारतीय क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष है।