ODI-T20 या टेस्ट, हर फॉर्मेट में फेल Rahul Dravid, इन 3 कारणों के चलते नहीं है हेडकोच बनने के लायक
ODI-T20 या टेस्ट, हर फॉर्मेट में फेल Rahul Dravid, इन 3 कारणों के चलते नहीं है हेडकोच बनने के लायक
Prev1 of 3
Use your ← → (arrow) keys to browse

Rahul Dravid: राहुल द्रविड़, भारतीय क्रिकेट टीम के महानतम बल्लेबाजों में से एक रहे हैं. टेस्ट और वनडे फॉर्मेट में दस-दस हजार से ज्यादा रन बना चुके द्रविड़ को उनके क्रिकेटिंग करियर के दौरान भारतीय टीम का ‘द वॉल’ और संकटमोचक कहा जाता था. 2012 में अंतराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास के बाद राहुल द्रविड़ (Rahul Dravid) IPL टीमों की कोचिंग के बाद राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी के निदेशक बनने के साथ ही इंडिया ए और अंडर 19 टीम के कोच बने. इन दोनों टीमों के कोच के रुप में द्रविड़ का कार्यकाल शानदार रहा. 2018 का अंडर 19 विश्व कप भारत ने द्रविड़ की कोचिंग में ही जीता.

उन्होंने अपने निर्देशन में पृथ्वी शॉ, शुभमन गिल, श्रेयस अय्यर, संजू सैमसन, ईशान किशन जैसे दर्जनों युवा खिलाड़ी तैयार किए जो भारतीय टीम के लिए खेल रहे हैं. इसी प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें 2021 में भारतीय सीनियर टीम का कोच बनाया गया लेकिन सीनियर टीम के साथ उनका 2 वर्ष से अधिक का कार्यकाल अच्छा नहीं रहा है. बतौर कोच एशिया कप 2022, टी 20 विश्व कप 2022,  WTC फाइनल 2023, विश्व कप 2023 जैसे बड़े टूर्नामेंट वे भारत को नहीं जीता सके हैं. आईए देखते हैं कि इतने बड़े क्रिकेटर होने और शुरुआती दौर में बतौर कोच सफलता हासिल करने के बावजूद द्रविड़ सीनियर टीम के कोच के रुप में अबतक असफल क्यों रहे हैं…

टीम बनाने में असफल

Rahul Dravid
Rahul Dravid

एक कोच का सबसे अहम काम होता है फॉर्मेट के मुताबिक टीम तैयार करना. राहुल द्रविड़ (Rahul Dravid) टेस्ट, वनडे या फिर टी 20 फॉर्मेट में भारत के लिए मजबूत 15 खिलाड़ियों का स्कवॉड बना पाने में असफल रहे हैं. हम मौजूदा समय में देख पा रहे हैं कि हर सीरीज में हर फॉर्मेट में खिलाड़ी बदल जाते हैं. अच्छे प्रदर्शन के बावजूद खिलाड़ी अगले सीरीज में उसी फॉर्मेट में होंगे ये तय नहीं है. उदाहरण के तौर पर देखा जाए तो विश्व कप के बाद ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टी 20 सीरीज में अक्षर पटेल और रवि बिश्नोई का प्रदर्शन अच्छा रहा था.

बिश्नोई इसी सीरीज के दौरान टी 20 में नंबर एक गेंदबाज बने लेकिन साउथ अफ्रीका के खिलाफ अगली टी 20 सीरीज से अक्षर जहां ड्रॉप हुए वहीं रवि बिश्नोई को टीम में होने के बावजूद मौका नहीं दिया गया. वहीं ऑस्ट्रेलिया सीरीज में नदारद रहे रवींद्र जडेजा को साउथ अफ्रीका टी 20 सीरीज में टीम का उपकप्तान बना दिया गया और फिर अफगानिस्तान सीरीज से उन्हें ड्रॉप कर दिया गया. इससे खिलाड़ियों का आत्मविश्वास कम होता है और इससे न टीम बन पाती है और न ही परिणाम अच्छे आ पाते हैं.

Prev1 of 3
Use your ← → (arrow) keys to browse