यह 3 दिग्गज खिलाड़ी करियर के अंत में टीम पर बन गए थे बोझ, फिर भी संन्यास लेने को नहीं हुए थे राजी

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Shivam Rajvanshi
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क्रिकेट (Cricket) दुनिया भर में सबसे ज्यादा लोकप्रिय खेलों में से एक है. फैंस अपने पसंदीदा खिलाड़ियों की भगवान की तरह पूजा करते है. इस खेल ने भी एक से बढ़कर महान खिलाड़ी दिए है जैसे ब्रायन लारा, राहुल द्रविड़, ग्लेन मैग्राथ आदि. कई नाम अपनी टीम के लिए ही नहीं वर्ल्ड क्रिकेट में भी एक अलग छाप छोड़ते हुए नजर आते है. पर एक समय आता है जब आपको पसंदीदा खिलाड़ी को भी खेल से दूरी बनाते हुए संन्यास लेना पड़ता है क्योकि उम्र एक ऐसी दिक्कत है जो एक ना एक समय हर खिलाड़ी को खेलने से रोकती है.

हर खिलाड़ी के लिए उनके करियर में एक समय ऐसा होता है जो सबसे बेहतरीन कहा जा सकता है लेकिन फिर उम्र ढलने के साथ-साथ उनके प्रदर्शन में गिरावट आने लगती है. कुछ खिलाड़ियों ने इस गिरावट को देखते ही अपने करियर के चरम पर संन्यास लेना उचित समझा लेकिन आज हम बात करने वाले है उन महान खिलाड़ियों के बारे में जिन्होंने करियर के अंतिम सालों में प्रदर्शन में गिरावट के बावजूद भी खेलना जारी रखा.

3. रिकी पोंटिंग

Cricket Ricky Ponting

साल 1995 में ऑस्ट्रेलिया के लिए अपना वनडे डेब्यू करने वाले खिलाड़ी रिकी पोंटिंग का नाम भी इस लिस्ट में अपनी जगह बनाता है. पोंटिंग ऑस्ट्रेलिया (Cricket  Australia) के तीनो ही फॉर्मेट खेलते हुए आये है. अपने टेस्ट डेब्यू पर उन्होंने 96 रन की पारी खेली थी. साल 2000 के आस-पास पोंटिंग टीम के अहम खिलाड़ी बन गये थे जो बड़े से बड़े गेंदबाज़ी आक्रमण का मुकाबला करने में सक्षम थे.

पोंटिंग ने टेस्ट और वनडे दोनों ही फॉर्मेट में टीम की कप्तानी की और सबसे सफल कप्तानों में से एक साबित हुए. ऑस्ट्रेलिया को उन्होंने तीन वनडे वर्ल्ड कप भी जीतवाये. पोंटिंग के करियर पर नज़र डाले तो पोंटिंग टेस्ट और वनडे में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी है. पोंटिंग (Ricky Ponting) ने 168 टेस्ट मैचों की 287 पारियों में 52 की औसत से 13378 रन बनाये है जिसमें 41 शतक और 62 अर्धशतक शामिल है. पोंटिंग ने 6 बार दोहरा शतक भी जमाया है. वनडे क्रिकेट में उन्होंने 30 शतक और 82 अर्धशतक के साथ 375 मैचों में 13704 रन बनाए है.

इतने शानदार आंकड़ों के बावजूद पोंटिंग के करियर के अंतिम सालों में उनका प्रदर्शन काफी गिर गया था. उनका करियर औसत 54.27 से गिरकर 52 पर आ गया था. उनके साथी खिलाड़ी माइकल क्लार्क ने भी साफ़ किया था की अगर पोंटिंग संन्यास ना लेते तो ऑस्ट्रेलियाई चयनकर्ता उन्हें टीम से ड्रॉप भी कर सकते थे.

2. वसीम अकरम

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वर्ल्ड क्रिकेट (World Cricket) में जब भी बेहतरीन तेज़ गेंदबाजों की बात होगी वो पाकिस्तान के वसीम अकरम का नाम काफी ऊपर नज़र आता है. अपनी स्विंग होती गेंद से उन्होंने दुनिया के हर बड़े बल्लेबाज़ के छक्के छुडाये है. साल 1984 में टीम के लिए वनडे और 1985 में टेस्ट डेब्यू करने वाले वसीम अकरम ने अपनी गति और स्विंग से शुरुआत से ही क्रिकेट (Cricket) दिग्गजों का ध्यान अपनी तरफ खिंचा था.

वसीम और वकार की जोड़ी को वर्ल्ड क्रिकेट में सबसे घातक फ़ास्ट बोलिंग जोड़ी कही जाती है. वसीम अकरम (Wasim Akram) के आंकड़ों की बात करे तो 104 टेस्ट मैचों में उन्होंने 414 विकेट अपने नाम किये है. 25 बार 5 विकेट और 5 बार 10 विकेट चटकाने का भी कारनामा वो दिखा चुके है. वनडे फॉर्मेट में भी उन्होंने 356 मैचों में 502 विकेट चटकाए है.

पाक टीम के लिए सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाजों में से एक वसीम का करियर 2000 के मध्य तक बेहतरीन रहा है लेकिन इसके बाद उनके प्रदर्शन में गिरावट आई. आखिर के 13 टेस्ट मैचों में वो मात्र 31 विकेट ही ले सके. टेस्ट में 2002 में संन्यास के बाद भी वो वनडे फॉर्मेट में एक साल तक खेले लेकिन प्रदर्शन उनके चरम से काफी कम ही रहा.

1. सचिन तेंदुलकर

Sachin Tendulkar

क्रिकेट (Cricket ) में भगवान कहे जाने वाले सचिन (Sachin Tendulkar) का नाम भी इस लिस्ट में शामिल है. सचिन के करियर की शुरुआत साल 1989 से हुई थी. लगभग 20 सालों के शानदार करियर में सचिन ने वर्ल्ड क्रिकेट में कई रिकॉर्ड तोड़े. कुछ रिकॉर्ड उनके मौजूदा क्रिकेट में तोड़ना लगभग नामुमकिन भी कहा जा सकता है.

साल 2013 में सचिन ने क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से संन्यास ले लिया था. सचिन ने भारत के लिए तीनों फॉर्मेट खेले है. टेस्ट और वनडे में सबसे ज्यादा रन और सबसे ज्यादा शतक लगाने वाले सचिन तेंदुलकर का करियर काफी आकर्षक रहा है. लेकिन अपने करियर के अंतिम कुछ सालों में सचिन के प्रदर्शन में काफी गिरावट भी देखने को मिली थी.

साल 2011 में इंडिया ने जब वर्ल्ड कप 2011 में जीत दर्ज की थी तो सभी ने उम्मीद लगाई थी की अब सचिन सन्यास ले लेंगे लेकिन उन्होंने क्रिकेट (Cricket) खेलना जारी रखा. लगभग अपने आखिर 23 टेस्ट मैचों में वो कोई भी शतक नहीं लगा पाए थे. कई दिग्गजों ने भी माना की सचिन में 100 शतक लगाने के लिए ही अंतिम सालों में खेलना जारी रखा और 2012 में 100वां के बाद उन्होंने कोई वनडे मैच नहीं खेला.

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