क्रिकेट (Cricket) एक ऐसा खेल है जो पूरी दुनिया में काफी लोकप्रिय है. चाहे उस देश में क्रिकेट खेला जाता हो न हो लेकिन आपको कुछ खिलाड़ियों के फैंस जरुर मिल जायेंगे. क्रिकेट की लोकप्रियता का श्रेय खिलाड़ियों के साथ-साथ समय के साथ खेल में हुए बदलाव को भी जाता है. टेस्ट क्रिकेट के बाद वनडे क्रिकेट और उसके बाद टी20 फॉर्मेट के चलते भी इस खेल के चाहने वाली की संख्या में इजाफा हुआ है.
युवा वर्ग में क्रिकेट का सबसे छोटा फॉर्मेट सबसे ज्यादा लोकप्रिय देखा गया है. आज कल आप टीवी पर घर बैठे या फोन से कही पर भी मैच का लाइव टेलीकास्ट देख सकते है लेकिन कई सालों तक मैच टीवी पर नहीं सिर्फ रेडियो पर ही लाइव सुना जाता था. धीरे-धीरे समय के साथ चीजें बदलने पर मैच का तरीका ही बदल गया है. ऐसे में आज हम बात करते हैं क्रिकेट (Cricket) खेल में हुए दो बड़े बदलावों के बारे में जिनको सुनकर आप भी सोचेंगे की ये क्रिकेट में कब होता था.
दो चीजें जो Cricket में पूरी तरह बदल गयी, नहीं होगा विश्वास
1. फैंस का मैदान पर आ जाना
वर्ल्ड कप 1983 की जीत किसको याद नहीं होगी. भारत की जीत के साथ सभी दर्शक मैदान में आ जाते है. आज के समय में यह लगभग असंभव सा नज़र आता है लेकिन एक समय ऐसा भी था जब टीम की जीत के बाद फैंस क्रिकेट (Cricket) मैदान पर आ जाते थे. ऐसे में खिलाड़ियों से मिलना, उनसे हाथ मिलना कैसी चीजे दर्शक आसानी से करते थे. लेकिन धीरे-धीरे फैंस की हरकतों से मैच और खिलाड़ी दोनों प्रभावित होने लगे. कुछ मौकों पर मैच में रोकना पड़ा जबकि कई मौकों पर खिलाड़ियों से उनका बैट तक छिनने का प्रयास किया गया था. ऐसे में धीरे धीरे दर्शकों का मैदान में आना बंद हो गया और अब इस चीज पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया जा चूका है.
2. टेस्ट क्रिकेट में रेस्ट डे
क्रिकेट (Cricket) अपने शुरुआती समय में टेस्ट फॉर्मेट में ही खेला जाता था. इस सबसे लम्बे फॉर्मेट में दो पारियों में टीम के खिलाड़ी जीत के लिए अच्छा प्रदर्शन करते थे लेकिन आज के 5 दिन के टेस्ट मैच के बजाये पहले टेस्ट मैच के बीच में टीमों को एक रेस्ट डे भी दिया जाता था. जी हां रेस्ट डे, उस दिन टीम सिर्फ आराम करती थी या छोटी कोई एक्टिविटी करती थी. रेस्ट डे के बाद दोबारा मैच को पूरा खत्म किया जाता था. भारतीय टीम की बात करे तो आखरी बार साल 1994 में श्रीलंका के खिलाफ मैच में रेस्ट डे दिया गया था. इसके बाद धीरे-धीरे वर्ल्ड क्रिकेट में भी यह प्रथा खत्म होने लगी और अब मैच के दौरान कोई भी रेस्ट डे देखने को नहीं मिलता है.