वर्तमान में Indian Cricket Team ने विश्व के हर एक देश को मात देकर खुद को बेहतरीन टीम बनाया है। वैसे तो बहुत ही अच्छी बात है, लेकिन टीम ने यह मुकाम एक दिन में नहीं बना दिया है। भारतीय टीम को विश्व क्रिकेट पर यह दबदबा बनाने के पीछे कई सालों की मेहनत लगी है।
वैसे आपको बता दें कि इस दबदबे का बिगुल 1983 में ही बज गया था, जब भारतीय क्रिकेट टीम ने Cricket World Cup जीता था। वो भी तत्कालीन विश्व चैम्पियन (वेस्टइंडीज) को मात देकर। भारतीय टीम ने पूर्व दिग्गज आलराउंडर खिलाड़ी कपिल देव की अगुआई में यह ख़िताब जीता था। विश्वकप से याद आया, क्या आपको पता है कि उस विश्वकप विजेता टीम के सभी 14 खिलाड़ी वर्तमान में कहां हैं और क्या कर रहे हैं।
ये हैं 1983 Cricket World Cup जीतने वाली भारतीय टीम के खिलाड़ी
1. कपिल देव (Kapil Dev, कप्तान)
1983 विश्वकप जीतने वाली भारतीय टीम के कप्तान और अपने समय के दिग्गज आलराउंडर खिलाड़ी कपिल देव का जन्म 6 जनवरी, 1959 को चंडीगढ़ में हुआ था। तब कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता था कि यह बच्चा एक दिन विश्व भर में अपना नाम बना लेगा। अपने करियर में 225 एकदिवसीय और 131 टेस्ट मैच खेलने वाले कपिल ने 90 की दशक की शुरुआत में ही Cricket से संन्यास ले लिया था। आपको बता दें कि कपिल देव ने 31 जनवरी 2014 में अपने अंगों को दान करने का ऐलान किया था। वैसे 2020 में उन्हें हार्ट अटैक भी हुआ था, तब से वो डॉक्टरों की देखरेख में ही हैं।
2. मोहिंदर अमरनाथ (Mohinder Amarnath, उपकप्तान)
24 सितंबर, 1950 में जन्मे दाएं हाथ के तेज गेंदबाज मोहिंदर अमरनाथ 83 का विश्वकप जीतने वाली टीम के उपकप्तान थे। वेस्टइंडीज की खिलाफ 7 ओवर में सिर्फ 12 रन देकर 3 विकेट झटकने वाले मोहिन्दर अमरनाथ के गेंदबाजी एक्शन के आज भी दीवाने भरे पड़े हैं। वैसे आपको बता दें कि वो भी टीम में एक आलराउंडर खिलाड़ी की हैसियत से ही खेलते थे। वैसे अब वो पब्लिक और मीडिया से दूर रहकर अपने परिवार के साथ ही समय बिताते हैं।
3. कीर्ति आजाद (Kirti Azad)
2 जनवरी, 1959 को बिहार में जन्मे दाएं हाथ के खब्बू स्पिन गेंदबाज कीर्ति आजाद ने 83 के Cricket World Cup में अपनी गेंदबाजी से धमाल मचा दिया था। उस विश्वकप में 3 मैचों में भले ही आजाद ने सिर्फ 17 ही ओवर फेंके हों, लेकिन सिर्फ 2.47 की इकॉनमी के साथ वो पूरे टूर्नामेंट में सबसे अच्छी इकॉनमी वाले गेंदबाज रहे। वैसे क्रिकेट से संयास लेने के बाद कीर्ति ने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर ली और इस वक्त एक भरोसेमंद नेता के रूप में कार्यरत हैं।
4. रोजर बिन्नी (Roger Binny)
वर्तमान क्रिकेटर स्टुअर्ट बिन्नी के पिता रोजर बिन्नी भी विश्वकप जीतने वाली भातीय टीम का हिस्सा थे। दाएं हाथ से तेज गेंदबाजी करने वाले बिन्नी भारतीय टीम में खेलने वाले पहले एंग्लो-इंडियन खिलाड़ी थे। 27 टेस्ट और 72 एकदिवसीय मैचों में भारत का प्रतिनिधित्व कर Cricket को अलविदा करने वाले 65 वर्षीय रोजर वर्तमान में अपना पूरा समय सिर्फ परिवार के साथ ही बिता रहे हैं।
5. सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar)
अपने समय के भरोसेमंद सलामी बल्लेबाज और आलटाइम के दिग्गज बल्लेबाज सुनील गावस्कर वैसे तो इस विश्वकप में ज्यादा प्रभाव नहीं छोड़ सके थे। लेकिन, उससे पहले और बाद में तो इस खिलाड़ी के बल्ले से अच्छे दसे अच्छा गेंदबाज घबराने लगा था। वैसे आपको बता दें कि 10 जुलाई, 1949 को जन्मे इस लिटिल मास्टर ने 1987 में अपनी Cricket करियर को अलविदा कह दिया था और अब कमेंट्री करने के साथ ही सोशल मीडिया पर बहुत ही ज्यादा एक्टिव रहने लगे हैं।
6. सैयद किरमानी (Syed Kirmani, विकेटकीपर)
80 के दशक में भारत के सबसे अच्छे विकेटकीपर थे सैयद किरमानी। इनके नाम अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 234 शिकार दर्ज हैं। 1983 के क्रिकेट विश्वकप में भी उनकी बल्लेबाजी और विकेटकीपिंग का जलवा देखने को मिला था। सैयद ने कुल 88 टेस्ट और 49 एकदिवसीय मैचों में अपने खेल का प्रदर्शन किया है। आपको बता दें की Cricket से दूर होने के बाद से मीडिया और प्रशंसकों से दूर परिवार के साथ समय बिता रहे हैं।
7. मदन लाल (Madan Lal)
Indian Cricket के प्रतिभाशाली दाएं हाथ के तेज गेंदबाज मदन लाल ने 1983 के क्रिकेट विश्वकप में बेहतरीन गेंदबाजी की मुजायरा पेश किया था। उन्होंने पूरे टूर्नामेंट में दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा विकेट लिए थे। आपको बता दें कि मदन लाल ने 8 मैचों में 16.76 की बेहतरीन औसत के साथ 17 विकेट लिए थे। 1987 में अपना अंतिम अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने वाले मदन मार्च 2009 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का हिस्सा बन गए थे। वैसे अभी वो राजनीति से जुड़े हुए ही हैं।
8. संदीप पाटिल (Sandeep Patil)
कभी अजनबी थे फिल्म में अभिनय कर चुके भारतीय क्रिकेट टीम के मध्यक्रम के बल्लेबाज संदीप पाटिल का जन्म 18 अगस्त, 1956 को मुंबई में हुआ था। एक आलराउंडर के तौर पर टीम का हिस्सा रहे संदीप पाटिल ने अपने 29 टेस्ट में 1588 रन व 9 विकेट के साथ ही 45 वनडे मैचों में 1005 रन बनाने के साथ ही 15 विकेट भी लिए थे। वैसे आपको बता दें कि क्रिकेट खेलने से छुट्टी लेने के बाद पाटिल ने केन्या के मुख्य कोच की भूमिका निभाई थी और अब सिर्फ एक Cricket एक्सपर्ट के तौर पर टीवी पर दिखाई दे जाते हैं।
9. बलविंदर संधू (Balwinder Sandhu)
3 अगस्त, 1964 को बॉम्बे में जन्मे दाएं हाथ के तेज गेंदबाज बलविंदर संधू को वैसे तो Cricket World Cup 83 में ज्यादा मौके नहीं मिले थे। उन्हें सिर्फ फाइनल मैच में जौहर दिखने का मौका मिला था। जब टीम के लिए 11 वें नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए 22 रन बनाए थे। 8 टेस्ट और 22 वनडे मैच में कुल 26 अंतरराष्ट्रीय विकेट लेने वाले संधू ने 1984 के बाद से ना तो कोई अंतरराष्ट्रीय मैच खेला है और ना ही किसी और कार्य की वजह से मीडिया के सामने ही आए हैं।
10. यशपाल शर्मा (Yashpal Sharma)
भारतीय टीम के लिए दाएं हाथ के भरोसेमंद बल्लेबाज यशपाल शर्मा ने 83 के विश्वकप में बल्ले से बेहतरीन प्रदर्शन किया था। उन्होंने 8 मैचों में 34.29 की औसत के साथ 240 रन बनाए थे। उन्होंने टूर्नामेंट में 2 अर्धशतक लगाए थे। वैसे आपको बता दें कि इस भरोसेमंद और दिग्गज बल्लेबाज का 13 जुलाई 2021 को हार्ट अटैक के कारण निधन हो गया।
11. रवि शास्त्री (Ravi Shastri)
1983 Cricket World Cup में भारतीय टीम का सदस्य बने रवि शास्त्री ने टीम के लिए एक बेहतरीन आलराउंडर के रूप में प्रदर्शन किया था। उन्होंने टीम के लिए कुल 80 टेस्ट और 150 एकदिवसीय मैचों में टीम का प्रतिनिधित्व किया था। वैसे उन्होंने 1992 में भले ही क्रिकेट से संन्यास ले लिया हो परन्तु अब वो भारतीय टीम के वर्तमान कोच के रूप में काम कर रहे हैं।
12. कृष्णामचारी श्रीकांत (Krishnamachari Srikkanth)
80 के दशक में भारतीय टीम के सबसे विध्वंसक सलामी बल्लेबाजों में गिने जाने वाले के श्रीकांत ने टीम के लिए हमेशा बेहतरीन प्रदर्शन कर जीत दिलाने वाले श्रीकांत ने 83 के टूर्नामेंट में कुल 14 चौके जड़े थे। उन्होंने भी 1992 में दक्षिण अफ्रीका के साथ अपने अंतिम मैच खेल कर अंतरराष्ट्रीय करियर को अलविदा कह दिया था। उसके बाद से वो सिर्फ टेलीविजन पर एक्सपर्ट एडवाइस देते हुए दिखा जाते हैं।
13. सुनील वाल्सन (Sunil Valson)
बाएं हाथ के तेज गेंदबाज सुनील वाल्सन को भी 1983 की विश्वकप टीम में जगह दी गई थी। लेकिन, फिर भी वो इकलौते खिलाड़ी थे, जिन्हें एक भी मैच खेलने का मौका नहीं मिल सका था। वैसे आपको बता दें कि भारतीय टीम के पास 1981 से लेकर 1987 तक उनसे बेहतर कोई भी बाएं हाथ का तेज गेंदबाज नहीं था। वर्तमान में वो आईपीएल टीम दिल्ली कैपिटल्स के लिए टीम मैनेजर के रूप में कार्य कर रहे हैं।
14. दिलीप वेंगसकर (Dilip Vengsarkar)
6 अप्रैल 1956 को जन्मे दाएं हाथ के बल्लेबाज और पार्ट टाइम तेज गेंदबाज दिलीप वेंगसकर ने 83 के विश्व कप में टीम के लिए उपयोगी योगदान दिया था। दिलीप को भारत के दिग्गज खिलाड़ियों में गिना जाता है। उन्होंने 116 टेस्ट में 6868 रन और 129 वनडे मैचों में 3508 रन बनाए थे। क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद वेंगसकर वैसे तो क्रिकेट से दूर ही है। बस कभी-कभी क्रिकेट मैदान पर कमेंट्री करते हुए दिखा जाते हैं।