मरने के 15 साल बाद क्रिकेटर ने इंग्लैंड के लिए किया डेब्यू, खिलाड़ी की कहानी जानकर उड़ जाएंगे होश

Published - 02 Jul 2025, 04:18 PM

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England Cricket Team: टीम इंडिया इंग्लैंड दौरे पर है, जहां वह मेजबान टीम के साथ पांच मैचों की टेस्ट सीरीज खेल रही है। टेस्ट सीरीज फिलहाल 1-0 से बराबरी पर है। सीरीज का दूसरा मैच 2 जुलाई यानी आज से शुरू होने जा रहा है। लेकिन यहां हम इंग्लैंड बनाम भारत मैच या किसी रिकॉर्ड की नहीं बल्कि एक खिलाड़ी की चर्चा करेंगे।

वो खिलाड़ी जिसने मरने के 15 साल बाद इंटरनेशनल क्रिकेट में डेब्यू किया। अब आप सोचेंगे कि मरने के बाद कैसा डेब्यू हो सकता है। तो ये घटना क्रिकेट इतिहास में घटी है। चलिए आपको बताते हैं

England Cricket Team के खिलाड़ी ने मरने के 15 साल बाद किया डेब्यू

दरअसल मरने के बाद क्रिकेटर के डेब्यू करने की घटना अभी की नहीं बल्कि 19वीं सदी की है, जब इंग्लैंड(England Cricket Team) के पूर्व खिलाड़ी हैरी ली ने इंटरनेशनल क्रिकेट में डेब्यू किया था। इस दौरान उन्होंने कोई खास प्रदर्शन नहीं दिखाया था। यानी कागजों पर उनका प्रदर्शन बिल्कुल सामान्य था। उन्होंने पहली पारी में 18 रन और दूसरी पारी में सिर्फ़ 11 रन बनाए।

ये आंकड़े बताते हैं कि उनका खेल कितना साधारण था। लेकिन इसके बावजूद उन्होंने इस मैच से ही नाम कमाया। हैरानी की बात ये है कि ये उनका पहला और आखिरी मैच था।

हैरी ली ने मिडिलसेक्स के लिए खेला

हैरी ली ने अपने पहले मैच में ही नाम कमाया और दुनिया के पहले ऐसे क्रिकेटर बने जिन्होंने मरने के 15 साल बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू किया। अब ये घटना कैसे हुई? चलिए आपको इसके पीछे की कहानी शुरू से बताते हैं। दरअसल, हैरी ली का जन्म 1890 में इंग्लैंड (England Cricket Team)में हुआ था। उन्हें बचपन से ही क्रिकेट खेलने का शौक था,

इसलिए कड़ी मेहनत के बाद उन्हें 15 साल की उम्र में मिडिलसेक्स की अंडर-19 टीम में जगह मिल गई। इस दौरान उन्होंने लॉर्ड्स में ग्राउंड स्टाफ के तौर पर भी काम किया। इसके बाद धीरे-धीरे उनके सपनों को पंख लगे, जब 1914 में उन्हें नियमित मिडिलसेक्स टीम में जगह मिली।

प्रथम विश्व युद्ध में ब्रिटेन के लिए लड़े

लेकिन हैरी ली के जीवन में सबसे बड़ा मोड़ तब आया जब वे प्रथम विश्व युद्ध में शामिल हुए। विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन (England Cricket Team)ने अपने नागरिकों से युद्ध में शामिल होने का आग्रह किया था। ऐसे में क्रिकेटर ने युद्ध लड़ा। वे सितंबर 1914 में 13वीं बटालियन (केंसिंग्टन) में शामिल हुए। मार्च 1915 की शुरुआत में ली को फ्रांस भेजा गया।

9 मई 1915 को ऑबर्स रिज की लड़ाई के पहले दिन हैरी ली को जांघ में गोली लगी, जिससे उनकी जांघ की हड्डी टूट गई। वे तीन दिनों तक "नो मैन्स लैंड" में पड़े रहे, जब तक कि जर्मन सैनिकों ने उन्हें ढूंढकर वैलेंसिएनेस के एक अस्पताल में भर्ती नहीं करा दिया। छह सप्ताह बाद उन्हें हनोवर भेज दिया गया।

हैरी को अस्पताल में भर्ती कराया गया

एक तरफ हैरी को अस्पताल में भर्ती कराया गया। दूसरी तरफ इंग्लैंड (England Cricket Team)में खबर थी कि वे मारे गए हैं। क्योंकि उनका शव कहीं नहीं मिल पाया। वे उन सैनिकों में से थे, जिनका युद्ध के दौरान कोई अता-पता नहीं था।

कुल मिलाकर इस दौरान 499 सैनिकों का पता नहीं चला। इनमें हैरी का नाम भी था। हालांकि, उनका पैर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था। ऐसे में एक साथी ब्रिटिश सैनिक ने उन्हें अस्पताल में सलाह दी कि वे अपनी स्थिति के बारे में बढ़ा-चढ़ाकर बताएं, ताकि उन्हें घर भेजा जा सके। हैरी ने ऐसा ही किया और वह तरीका काम कर गया।

पैर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया

अक्टूबर 1915 में हैरी ली को आखिरकार इंग्लैंड (England Cricket Team)वापस भेज दिया गया। हालांकि, यह सच था कि उनका पैर बहुत खराब स्थिति में था। स्थिति ऐसी हो गई थी कि उनका एक पैर छोटा और दूसरा बड़ा हो गया था।

ऐसे में उनका क्रिकेट खेलना दूर की कौड़ी था। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। कहते हैं कि एक बार इंसान कुछ ठान ले तो उसे जरूर कर सकता है। हैरी ने मन ही मन यही सोचा। परेशानियों से जूझते हुए उन्होंने क्रिकेट में वापसी की।

4 साल बाद फर्स्ट क्लास में वापसी

इसके बाद चार साल बाद यानी 1919 में हैरी फर्स्ट क्लास टूर्नामेंट में लौटे। उन्होंने खूब रन बनाए और मिडिलसेक्स टीम के अहम खिलाड़ी बन गए। हालांकि, उनके लिए सबकुछ आसान नहीं था। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। वे लगातार क्रिकेट खेलते रहे।

आखिरकार वो पल आ ही गया जिसका हर क्रिकेटर सपना देखता है। हैरी का ये सपना सच हो गया। क्योंकि उन्होंने इंग्लैंड की टीम (England Cricket Team)से डेब्यू किया।

40 की उम्र में इंग्लैंड में डेब्यू

हैरी ली ने 1931 में साउथ अफ्रीका के खिलाफ डेब्यू किया। उन्होंने 40 की उम्र में फरवरी 1931 में साउथ अफ्रीका के (England Cricket Team)खिलाफ डेब्यू किया। इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड ने उन्हें मौका दिया क्योंकि उस समय साउथ अफ्रीका का दौरा मुश्किल था और दौरे के दौरान कई खिलाड़ी चोटिल हो गए थे।

तब इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड ऐसे खिलाड़ी को मौका देना चाहता था जो परिपक्व और भरोसेमंद हो, अनुभवी हो और जिसमें धैर्य और दबाव में शांत रहने की क्षमता हो। इसी वजह से इंग्लैंड ने हैरी ली को डेब्यू दिया

40 वर्षीय हैरी ली उस समय काउंटी सर्किट में लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहे थे। उन्होंने तब तक 13 बार एक सीजन में 1,000 से ज्यादा रन बनाने का कारनामा किया था। रिटायरमेंट की उम्र में ही उन्हें अंतरराष्ट्रीय (England Cricket Team)मैच खेलने का मौका मिला। इसके साथ ही वह अपनी मौत के 15 साल बाद डेब्यू करने वाले खिलाड़ी बन गए हैं। जानकारी के मुताबिक, उनकी मौत 80 साल की उम्र में मौत हो गई

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Nishant Kumar

मैं निशांत कुमार, एक समर्पित क्रिकेट विशेषज्ञ, कंटेंट राइटर और पेशे से पत्रकार हूँ। पत्रकारिता का मे... रीड मोर