एशिया कप (Asia Cup) 2025
एशिया कप या फिर कहें एशियाई क्रिकेट का महाकुंभ, एक ऐसा टूर्नामेंट है, जिसने दशकों से क्रिकेट प्रेमियों को रोमांच और उत्साह प्रदान किया है। हालांकि, जितना रोमांचक यह खेल है, इस टूर्नामेंट की शुरुआत होने की कहानी भी उतनी ही दिलचस्प है। एशिया कप की शुरुआत साल 1984 में हुई थी, लेकिन इसकी कहानी साल 1983 में खेले गए आईसीसी वनडे विश्व कप के फाइनल से जुड़ी हुई है।
25 जून 1983 को भारत बनाम वेस्टइंडीज के बीच विश्व कप का फाइनल मैच खेला गया था। उस समय बीसीसीआई के तत्कालीन अध्यक्ष एनकेपी साल्वे थे, जो यह मैच मैदान पर देखना चाहते थे, लेकिन उन्हें स्टेडियम में बैठकर फाइनल मैच देखने की अनुमति नहीं मिली। वह भी तब, जब फाइनल में खुद टीम इंडिया थी। साल्वे को अंदर नहीं जाने पर उन्हें काफी अपमान महसूस हुआ, और इस घटना ने उनके मन में इंग्लैंड के खिलाफ बदले की आग भर दी और यही से जन्म हुआ एशिया कप का।
19 सितंबर 1983 को हुआ ACC का गठन
इंग्लैंड से वापस लौटने के बाद एनकेपी साल्वे ने विश्व कप को इंग्लैंड से बाहर करने की ठानी, लेकिन उस दौर में इंग्लैंड क्रिकेट का डंका पूरे विश्व में बजा करता था, लेकिन साल्वे ने भी आईसीसी-इंग्लैंड को भारत और एशिया कप की ताकत दिखाने की ठान ली थी। इसके बाद साल्वे ने सबसे पहले पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड से संपर्क किया, और फिर इस मुहिम में श्रीलंका भी जुड़ गया।
श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड के तत्कालीन प्रमुख गामिनी दिसानायके ने एशिया कप टूर्नामेंट शुरू करने में नूर खान (तत्कालीन पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड अध्यक्ष) और भारत का साथ दिया। नतीजतन, 19 सितंबर 1983 को भारत की राजधानी दिल्ली में एशियन क्रिकेट कॉन्फ्रेंस यानी ACC का गटन हुआ, जो आगे चलकर एशियन क्रिकेट काउंसिल के नाम से जाना गया। एसीसी के पहले अध्यक्ष भी एनकेपी साल्वे ही थे।
मुश्किल वक्त में यूएई आया साथ
भले ही आज के समय में एशिया कप विश्व के सबसे बड़े टूर्नामेंट में शुमार है, लेकिन जब इस टूर्नामेंट की नींव रखी गई थी, उस समय एसीसी के पास इस टूर्नामेंट को आयोजित करवाने के पैसे तक नहीं थे। उस समय संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने सामने आकर इस टूर्नामेंट की मेजबानी की पेशकश कर थी।
तब इस टूर्नामेंट में भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका की टीमों ने हिस्सा लिया था, जिसमें भारत विजयी रहा था। हालांकि, साल 1986 के संस्करण में भारत ने एशिया कप में हिस्सा नहीं लिया था, क्योंकि तब भारत और श्रीलंका के बीच राजनीतिक संबंध ठीक नहीं थे। जिसके चलते पहली बार 1986 में बांग्लादेश को इस टूर्नामेंट का हिस्सा बनाया गया था। टूर्नामेंट का आयोजन नियमित रूप से हर दो साल में किया जाता है।
2016 में नए प्रारूप में दिखा एशिया कप
एशिया कप का पहला संस्करण साल 1984 में खेला गया था। इसके बाद से इस टूर्नामेंट का आयोजन वनडे फॉर्मेट में किया जाता था, लेकिन साल 2016 में पहली बार एशिया कप नए अवतार में लॉन्च किया गया। बदलती क्रिकेट और क्रिकेट प्रेमियों के बढ़ते रोमांचक के चलके पहली बार एशिया कप टी20 प्रारूप में खेला गया था। इस फैसले का पीछे दो मुख्य कारण थे। पहला कि प्रशंसकों के बीच एशिया कप को फेमस किया जा सके और दूसरा कारण आगामी आईसीसी विश्व कप की तैयारी के रूप में इसका इस्तेमाल किया जा सके। क्योंकि, साल 2016 में टी20 विश्व कप का आयोजन होगा था, यही कारण है कि पहली बार इसी साल एशिया कप को टी20 फॉर्मेट में खेला गया। यह बदलाव अभी भी जारी है, और एशिया कप को बारी-बारी से टी20 और वनडे प्रारूपों में खेला जाता है।
एशिया कप इतिहास की सबसे सफल टीमें:
एशिया कप के इतिहास में भारतीय टीम का दबदबा रहा है। इस टूर्नामेंट में भारत ने सबसे ज्यादा बार ट्रॉफी जीती है, जिसकी शुरुआत 1984 में सुनील गावस्कर की कप्तानी में हुई थी। चलि आपको बताते हैं कि अब तक किन-किन टीमों ने टूर्नामेंट में विजय प्राप्त की है।
भारत: भारतीय क्रिकेट टीम एशिया कप की सबसे सफल टीम है। उन्होंने 1984, 1988, 1991, 1995, 2010, 2016, 2018 और 2023 में खिताब जीते हैं। कुल मिलाकर भारत अब तक 8 बार यह खिताब अपने नाम कर चुका है। भारत का यह दबदबा वनडे और टी-20 दोनों फॉर्मेट में रहा है। भारतीय टीम ने कई बार फाइनल में श्रीलंका और पाकिस्तान को हराया है।
श्रीलंका: भारत के बाद श्रीलंका एशिया कप के इतिहास में दूसरी सबसे सफल टीम है। उन्होंने 6 बार (1986, 1997, 2004, 2008, 2014 और 2022) यह खिताब जीता है। श्रीलंका की टीम ने हमेशा टूर्नामेंट में एक मजबूत प्रतिद्वंद्वी के रूप में प्रदर्शन किया है और कई यादगार फाइनल जीते हैं। शुरुआत से ही एशिया कप में भारत के बाद श्रीलंकाई क्रिकेट टीम का दबदबा देखने को मिलता रहा है।
पाकिस्तान: पाकिस्तान ने 2 बार (2000 और 2012) एशिया कप का खिताब जीता है। भले ही पाकिस्तान ने 31 साल के इतिहास में सिर्फ दो खिताब जीते हैं, लेकिन उन्होंने हमेशा से ही भारत-श्रीलंका को कड़ी चुनौती पेश की है। पाकिस्तान ने आखिरी बार साल 2012 में बांग्लादेश को रोमांचक मैच में दो रन से हराकर ट्रॉफी जीती थी। उस वक्त टीम के कप्तान मिस्बाह-उल-हक थे। इसके बाद से पाकिस्तान लगातार ट्रॉफी जीतने का प्रयास कर रही है, लेकिन हर बार उन्हें असफलता ही हाथ लग रही है।
बांग्लादेश: बांग्लादेश ने भले ही कोई खिताब नहीं जीता हो, लेकिन वे कई बार फाइनल में पहुंचे हैं। उन्होंने 2012, 2016 और 2018 में फाइनल तक का सफर तय किया, लेकिन हर बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
संस्करणों की सूची:
एशिया कप का आयोजन 1984 में शुरू हुआ और 2025 तक इसके कई संस्करण हो चुके हैं। 2025 का टूर्नामेंट टी-20 प्रारूप में आयोजित हो रहा है।
- 1984: भारत (वनडे)
- 1986: श्रीलंका (वनडे)
- 1988: भारत (वनडे)
- 1990-91: भारत (वनडे)
- 1995: भारत (वनडे)
- 1997: श्रीलंका (वनडे)
- 2000: पाकिस्तान (वनडे)
- 2004: श्रीलंका (वनडे)
- 2008: श्रीलंका (वनडे)
- 2010: भारत (वनडे)
- 2012: पाकिस्तान (वनडे)
- 2014: श्रीलंका (वनडे)
- 2016: भारत (टी-20)
- 2018: भारत (वनडे)
- 2022: श्रीलंका (टी-20)
- 2023: भारत (वनडे)
- 2025: (टी-20, जारी है)
सबसे सफल कप्तान:
एशिया कप के इतिहास में कई कप्तानों ने अपनी टीमों को जीत दिलाई है। हालांकि, कुछ कप्तानों का प्रदर्शन दूसरों से कहीं अधिक प्रभावशाली रहा है।
रोहित शर्मा: रोहित शर्मा को एशिया कप के सबसे सफल कप्तानों में से एक माना जाता है। उनकी कप्तानी में भारत ने 2018 और 2023 का खिताब जीता। उनका जीत का प्रतिशत भी बहुत शानदार रहा है।
महेंद्र सिंह धोनी: महेंद्र सिंह धोनी ने भारत को 2010 में वनडे और 2016 में टी-20 प्रारूप में एशिया कप का खिताब दिलाया। वह एकमात्र ऐसे कप्तान हैं जिन्होंने दोनों प्रारूपों में अपनी टीम को चैंपियन बनाया है।
मोहम्मद अजहरुद्दीन: मोहम्मद अजहरुद्दीन ने 1990 और 1995 में भारत को लगातार दो बार एशिया कप का चैंपियन बनाया, जिससे भारतीय क्रिकेट में एक नया अध्याय शुरू हुआ।
इन कप्तानों ने न केवल अपनी टीमों को जीत दिलाई, बल्कि उन्होंने अपनी नेतृत्व क्षमता से भी क्रिकेट जगत में एक अमिट छाप छोड़ी।